1.आपने किसी राजनेता के आत्महत्या की ख़बर नहीं सुनी होगी क्योंकि वो थेथर तो होते ही हैं, मेंटली स्ट्रांग भी।
2.नास्तिक की तुलना में आस्तिक ही अधिक आत्महत्या करते हैं क्योंकि वे पुनर्जन्म और स्वर्गलोक जैसे थ्योरी पर विश्वास करते हैं।
3.स्वयं को एक्सप्रेस करने वाले कभी आत्महत्या नहीं करते हैं, बात को मन के भीतर रखकर घुट-घुट कर जीने वाले ही आत्महत्या करते हैं।अतः संवाद आवश्यक है।
4.कुछ स्वाभिमानी व्यक्ति गंभीर रोग से पीड़ित होने पर भी आत्महत्या करते हैं।
5.ऋण ना चुका पाने का बोझ एवं असामाजिक कुकृत्य करने के बाद जिसमें दुनिया को मुँह दिखाना संभव ना हो,तब भी लोग आत्महत्या कर लेते हैं।
6.हीन भावना से ग्रस्त होना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।
निष्कर्ष:-भावनाओं पर नियंत्रण अतिआवश्यक है क्योंकि एक गलत निर्णय आत्महत्या का जिसका पश्चाताप लटकने के समय ही हो जाता है,तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
अतः अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है, थेथर बनिये और जीवन का आनंद उठाइये।
-“स्वार्थी”✍